What is Router in Hindi, काम कैसे करता है (राउटर )

राउटर एक ऐसा नेटवर्क डिवाइस है जो इंटरनेट या अन्य नेटवर्क कनेक्शन को एक से ज़्यादा डिवाइसेज़ के बीच बाँटने का काम करता है। इसे आप एक ट्रैफिक कंट्रोलर की तरह समझ सकते हैं जो यह तय करता है कि कौन सा data packet किस device तक पहुँचेगा और किस रास्ते से जाएगा। 

राउटर का इस्तेमाल हम अक्सर घर, ऑफिस या स्कूल जैसे जगहों पर करते हैं, जिससे एक ही इंटरनेट कनेक्शन को कई डिवाइस जैसे मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्ट टीवी में आसानी से इस्तेमाल किया जा सके। यह इंटरनेट को वायर से (LAN) और बिना वायर के (Wi-Fi) भी चला सकता है।

राउटर सिर्फ इंटरनेट को शेयर करने का ही काम नहीं करता, बल्कि यह नेटवर्क को सुरक्षित रखने, डाटा पैकेट्स को सही डिवाइस तक पहुँचाने और IP एड्रेस असाइन करने जैसी ज़िम्मेदारियाँ भी निभाता है।

राउटर कैसे काम करता है?

राउटर का काम होता है डेटा को एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क तक सही रास्ते से पहुँचाना। जब भी आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर से इंटरनेट पर कुछ सर्च करते हैं, तो राउटर उस डेटा रिक्वेस्ट को इंटरनेट सर्वर तक पहुँचाता है और फिर वहाँ से मिलने वाला डेटा वापस आपके डिवाइस तक भेजता है। इस पूरे प्रोसेस में राउटर IP Address की मदद से यह तय करता है कि कौन सा डेटा किस डिवाइस तक जाना है।

राउटर में कई पोर्ट्स होते हैं—एक WAN पोर्ट जो इंटरनेट (जैसे मॉडेम) से जुड़ता है और कई LAN पोर्ट्स जो आपके कंप्यूटर, प्रिंटर या अन्य डिवाइसेज़ से कनेक्ट हो सकते हैं। अक्सर router में wireless system भी होता है, जिससे Wi-Fi चलता है और mobile, laptop जैसे device बिना किसी तार के भी internet से connect हो जाते हैं।

राउटर डेटा पैकेट्स को रूट यानी रास्ता दिखाने का काम करता है, इसलिए इसे Router कहा जाता है।

राउटर और OSI मॉडल का संबंध

राउटर कंप्यूटर नेटवर्किंग का एक ऐसा उपकरण है जो OSI मॉडल की तीसरी परत यानी Network Layer पर काम करता है। यह लेयर IP addressing, routing और packet forwarding जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार होती है।

जब भी कोई डेटा एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क की ओर जाता है, तो राउटर उसे सही मार्ग (Route) पर भेजने का काम करता है। यह प्रक्रिया IP address के आधार पर होती है, जिसे OSI मॉडल की Network Layer संभालती है।

राउटर कितने प्रकार के होते हैं?

राउटर कई तरह के आते हैं, और इन्हें उनके काम करने के तरीके, कहाँ यूज़ होते हैं और कैसे कनेक्ट होते हैं – इन सब बातों के हिसाब से अलग-अलग टाइप में बाँटा जाता है। नीचे कुछ जरूरी टाइप्स के बारे में बताया गया है:

1. वायर्ड राउटर (Wired Router)

यह राउटर नेटवर्क केबल की मदद से कंप्यूटर या अन्य डिवाइसेज़ को इंटरनेट से जोड़ता है। ये आमतौर पर उन जगहों पर उपयोग किए जाते हैं जहाँ स्थिर और तेज़ कनेक्शन की आवश्यकता होती है, जैसे ऑफिस या सर्वर रूम।

2. वायरलेस राउटर (Wireless Router)

यह सबसे आम राउटर प्रकार है, जो Wi-Fi सिग्नल के जरिए मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी आदि डिवाइसों को इंटरनेट से जोड़ता है। यह घरों और छोटे ऑफिसों में काफी लोकप्रिय है।

3. कोर राउटर (Core Router)

ये राउटर बड़े नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर का हिस्सा होते हैं, जैसे कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) का नेटवर्क। कोर राउटर अन्य राउटर से कनेक्ट होते हैं और यूज़र डिवाइस से सीधा संबंध नहीं रखते।

4. एज राउटर (Edge Router)

यह राउटर नेटवर्क के बाहरी किनारे पर कार्य करता है और बाहरी नेटवर्क या इंटरनेट को आपके लोकल नेटवर्क से जोड़ता है। यह डेटा को फिल्टर करने और सिक्योरिटी देने का काम भी करता है।

5. वर्चुअल राउटर (Virtual Router)

यह एक सॉफ्टवेयर आधारित राउटर होता है, जो नेटवर्क में बैकअप या फेलओवर के रूप में कार्य करता है। यह तब उपयोग में आता है जब हार्डवेयर राउटर फेल हो जाए।

6. ब्रॉडबैंड राउटर (Broadband Router)

इस प्रकार के राउटर का उपयोग DSL या केबल इंटरनेट कनेक्शन को शेयर करने के लिए किया जाता है। यह अक्सर वायर्ड और वायरलेस दोनों फीचर्स के साथ आता है।

राउटर और मॉडेम में क्या अंतर है?

कई बार लोग राउटर और मॉडेम को एक ही डिवाइस समझ लेते हैं, लेकिन ये दोनों अलग-अलग काम करते हैं। आइए आसान शब्दों में समझते हैं कि इनके बीच क्या फर्क है:

विशेषताराउटर (Router)मॉडेम (Modem)
कार्यइंटरनेट कनेक्शन को कई डिवाइस में बांटनाISP से इंटरनेट सिग्नल को डिवाइस के लिए उपयुक्त बनाना
नेटवर्क बनानाहाँ (लोकल नेटवर्क बनाता है)नहीं
इंटरनेट कनेक्शन साझा करनाकरता हैनहीं करता
डिवाइस से कनेक्शनवाई-फाई या LAN के जरिए कई डिवाइस सेएक ही डिवाइस से, जब तक राउटर न हो
अकेले काम करता है?नहीं, मॉडेम की ज़रूरत होती हैहाँ, लेकिन सिर्फ एक डिवाइस के लिए
फिजिकल कनेक्शनमॉडेम से जुड़ता है, फिर कंप्यूटर या अन्य डिवाइस सेISP लाइन से जुड़ता है
कॉम्बो डिवाइस उपलब्ध?हाँ, राउटर-मॉडेम कॉम्बो मौजूद हैंहाँ, कॉम्बो डिवाइस में शामिल होता है

राउटर का उपयोग कहाँ-कहाँ होता है?

राउटर का इस्तेमाल आज के डिजिटल युग में कई जगहों पर किया जाता है, जहाँ एक से ज़्यादा डिवाइस को इंटरनेट या नेटवर्क से जोड़ने की ज़रूरत होती है। नीचे कुछ प्रमुख क्षेत्रों में राउटर के उपयोग दिए गए हैं:

  1. घरों में (Home Networks):
    घरों में वाई-फाई के ज़रिए मोबाइल, लैपटॉप, स्मार्ट टीवी, और अन्य डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ने के लिए राउटर का इस्तेमाल होता है।
  2. ऑफिस और बिज़नेस में (Office & Enterprises):
    छोटे से लेकर बड़े ऑफिस तक, कई कंप्यूटरों और नेटवर्क डिवाइसों को जोड़ने के लिए राउटर एक ज़रूरी उपकरण है।
  3. इंटरनेट सेवा प्रदाता (ISP):
    इंटरनेट कंपनियां राउटर का उपयोग ग्राहकों को इंटरनेट कनेक्शन देने के लिए करती हैं।
  4. डेटा सेंटर में:
    राउटर का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर नेटवर्किंग ट्रैफिक को मैनेज करने और अलग-अलग नेटवर्क को जोड़ने के लिए होता है।
  5. एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस:
    स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में कई डिवाइसों को एक ही इंटरनेट से जोड़ने के लिए राउटर का उपयोग किया जाता है।
  6. पब्लिक वाई-फाई हॉटस्पॉट्स:
    रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, कैफे, होटल आदि में पब्लिक इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए राउटर लगाए जाते हैं।

राउटर कैसे चुनें? (Router खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें)

जब आप नया राउटर खरीदने जाते हैं, तो सिर्फ ब्रांड या कीमत को देखकर चुनाव करना सही नहीं होता। नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए गए हैं जो राउटर खरीदते समय ज़रूर ध्यान में रखने चाहिए:

  1. राउटर की स्पीड और स्टैंडर्ड:
    आजकल ज्यादातर राउटर 802.11ac या 802.11ax (Wi-Fi 6) तकनीक के साथ आते हैं। ये तेज़ स्पीड और बेहतर कवरेज देते हैं, खासकर बड़ी फैमिली या ऑफिस के लिए।
  2. रेंज (कवरेज एरिया):
    अगर आपके घर या ऑफिस का क्षेत्र बड़ा है, तो ड्यूल बैंड या ट्राई-बैंड राउटर चुनें जिनकी कवरेज ज्यादा होती है।
  3. बैंड्स (Single, Dual, or Tri Band):
    • सिंगल बैंड: छोटे घरों के लिए पर्याप्त
    • ड्यूल बैंड: बेहतर स्पीड और कम इंटरफेरेंस
    • ट्राई बैंड: भारी नेटवर्क ट्रैफिक के लिए उपयोगी
  4. पोर्ट्स की संख्या:
    यदि आप अपने राउटर से डेस्कटॉप, प्रिंटर, या अन्य डिवाइसेज़ को वायर्ड कनेक्शन देना चाहते हैं, तो LAN और USB पोर्ट की संख्या ज़रूर चेक करें।
  5. सिक्योरिटी फ़ीचर्स:
    WPA3 एनक्रिप्शन, फायरवॉल, गेस्ट नेटवर्क और पैरेंटल कंट्रोल जैसे फ़ीचर्स राउटर को सुरक्षित बनाते हैं।
  6. राउटर का ब्रांड और वारंटी:
    TP-Link, D-Link, Netgear, Asus और Tenda जैसे भरोसेमंद ब्रांड चुनें। साथ ही कम से कम 2 साल की वारंटी जरूर चेक करें।
  7. फर्मवेयर अपडेट सपोर्ट:
    कंपनी समय-समय पर सिक्योरिटी और परफॉर्मेंस सुधार के लिए अपडेट देती है। इसलिए ऐसा राउटर लें जिसमें OTA फर्मवेयर अपडेट का विकल्प हो।

निष्कर्ष

राउटर आज के डिजिटल युग में एक बेहद ज़रूरी नेटवर्किंग डिवाइस बन चुका है। चाहे घर हो या ऑफिस, इंटरनेट कनेक्शन को कुशलता से बाँटने और नेटवर्क को सुरक्षित बनाए रखने में राउटर की भूमिका अहम होती है। इसके बिना हम एक से अधिक डिवाइस पर इंटरनेट चलाने की कल्पना भी नहीं कर सकते।

अब जब आपने राउटर के बारे में इतनी जानकारी हासिल कर ली है – इसकी परिभाषा, काम करने का तरीका, प्रकार, और विशेषताएं – तो क्या आप अब यह सोच रहे हैं कि आपके लिए कौन-सा राउटर सही रहेगा?

तो आपको क्या लगता है – आपके घर या ऑफिस के लिए कौन-सा राउटर सबसे उपयुक्त होगा? चलिए, नीचे कमेंट में हमें बताइए!

FAQs

राउटर क्या है इसे समझाइए?

राउटर एक नेटवर्क डिवाइस है जो अलग-अलग नेटवर्क को आपस में जोड़ता है और डेटा को सही रास्ते से गंतव्य (Destination) तक पहुँचाता है। यह इंटरनेट और आपके लोकल नेटवर्क (जैसे घर या ऑफिस) के बीच मध्यस्थ का काम करता है। राउटर IP एड्रेस के आधार पर डेटा पैकेट को सही डिवाइस तक पहुँचाने का काम करता है, जिससे सभी डिवाइस सुरक्षित और तेज़ी से नेटवर्क से जुड़ पाते हैं।

नेटवर्क में राउटर क्या होता है?

नेटवर्क में राउटर एक ऐसा डिवाइस होता है जो कई नेटवर्क को आपस में जोड़कर उनके बीच डेटा का आदान-प्रदान करवाता है। यह डेटा पैकेट को उनके सही IP एड्रेस के आधार पर गंतव्य तक पहुँचाने का काम करता है। राउटर की मदद से आप एक ही इंटरनेट कनेक्शन को कई डिवाइस पर सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं।

राउटर कितने प्रकार के होते हैं?

राउटर मुख्य रूप से कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं –
वायर्ड राउटर (Wired Router) – यह केबल के माध्यम से नेटवर्क और डिवाइस को जोड़ता है।
वायरलेस राउटर (Wireless Router) – इसमें Wi-Fi तकनीक होती है, जिससे डिवाइस बिना तार के कनेक्ट हो सकते हैं।
कोर राउटर (Core Router) – बड़े नेटवर्क या इंटरनेट बैकबोन में डेटा ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए उपयोग किया जाता है।
एज राउटर (Edge Router) – नेटवर्क के किनारे पर लगाया जाता है, जो आंतरिक नेटवर्क और बाहरी नेटवर्क को जोड़ता है।
वर्चुअल राउटर (Virtual Router) – सॉफ्टवेयर आधारित राउटर, जो वर्चुअल नेटवर्किंग के लिए इस्तेमाल होता है।

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